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Showing posts from June, 2016

'मन की बात'

गत रविवार आदरणीय प्रधानमंत्री जी के प्रसिद्ध कार्यक्रम 'मन की बात' में कई प्रेरणा दयाक लोगों का जिक्र किया गया जिनमे पौड़ी गढ़वाल के संतोष जी की ऑडियो भी सुनाई गई. कुछ अंश इस कार्यक्रम के - नरेंद्र मोदी: मेरे प्यारे देशवासियो, उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल से संतोष नेगी जी ने phone करके अपना एक अनुभव share किया है। जल संचय की बात पर उन्होंने मुझे संदेश दिया है। उनका ये अनुभव देशवासियो, आपको भी काम आ सकता है: - संतोष जी: “हमने आपकी प्रेरणा से अपने विद्यालय में वर्षा जल ऋतु शुरू होने  से पहले ही 4 फीट के छोटे-छोटे ढाई-सौ गड्ढे खेल के मैदान के किनारे-किनारे बना दिए थे, ताकि वर्षा जल उसमें समा सके। इस प्रक्रिया में खेल का मैदान भी खराब नहीं हुआ, बच्चों के डूबने का खतरा भी नहीं हुआ और करोड़ों लीटर पानी मैदान का हमने वर्षा जल सब बचाया है।” नरेंद्र मोदी: संतोष जी, मैं आपका अभिनन्दन करता हूँ कि आपने मुझे ये संदेश दिया और पौड़ी गढ़वाल, पहाड़ी इलाका और वहाँ भी आपने काम किया, आप बधाई के पात्र हैं।

आग जलनी चाहिए

Aag Jalni Chahiye - दुष्यन्त कुमार (Dushyant Kumar) हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी, शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए।

The Road Not Taken : Robert Frost

Two roads diverged in a yellow wood, And sorry I could not travel both And be one traveler, long I stood And looked down one as far as I could To where it bent in the undergrowth; Then took the other, as just as fair, And having perhaps the better claim, Because it was grassy and wanted wear; Though as for that the passing there Had worn them really about the same, And both that morning equally lay In leaves no step had trodden black. Oh, I kept the first for another day! Yet knowing how way leads on to way, I doubted if I should ever come back. I shall be telling this with a sigh Somewhere ages and ages hence: Two roads diverged in a wood, and I— I took the one less traveled by, And that has made all the difference. Stopping by Woods on a Snowy Evening Whose woods these are I think I know.    His house is in the village though;    He will not see me stopping here    To watch his wo...