A Story

एक अंधा लड़का एक इमारत की सीढ़ियों पर बैठा था. उसके पैरों के पास एक टोपी रखी थी. पास ही एक बोर्ड रखा था, जिस पर लिखा था, "मैं अंधा हूँ, मेरी मदद करो." टोपी में केवल कुछ सिक्के थे.
वहां से गुजरता एक आदमी यह देख कर रुका, उसने अपनी जेब से कुछ सिक्के निकले और टोपी में गिरा दिये. फिर उसने उस बोर्ड को पलट कर कुछ शब्द लिखे और वहां से चला गया. उसने बोर्ड को पलट दिया था जिससे कि लोग वह पढ़ें जो उसने लिखा था.

जल्द ही टोपी को भरनी शुरू हो गई. अधिक से अधिक लोग अब उस अंधे लड़के को पैसे देरहे थे. दोपहर को बोर्ड बदलने वाला आदमी फिर वहां आया. वह यह देखने के लिए आया था उसके शब्दों का लोगों पर क्या प्रभाव पड़ा? अंधे लड़के ने उसके क़दमों की आहट पहचान ली और पूछा, "आप सुबह मेरे बोर्ड को बदल कर गए थे? आपने बोर्ड पर क्या लिखा था?"
उस आदमी ने कहा मैंने केवल सत्य लिखा था, मैंने तुम्हारी बात को एक अलग तरीके से लिखा, "आज एक खूबसूरत दिन है और मैं इसे नहीं देख सकता."


आपको क्या लगता है? पहले वाले शब्द और बाद वाले शब्द, एक ही बात कह रहे थे?
बेशक दोनों संकेत लोगों को बता रहे थे कि लड़का अंधा था. लेकिन पहला संकेत बस इतना बता रहा था कि वह लड़का अंधा है. जबकि दूसरा संकेत लोगों को यह बता रहा था कि वे कितने भाग्यशाली हैं कि वे अंधे नहीं हैं. क्या दूसरा बोर्ड अधिक प्रभावशाली था?


दोस्तों! यह कहानी हमें बताती है कि, जो कुछ हमारे पास है उसके लिए हमें आभारी होना चाहिए. रचनात्मक रहो. अभिनव रहो. अलग और सकारात्मक सोच रखो. लोगों को अच्छी चीजों की तरफ, समझदारी से आकर्षित करो.
जीवन तुम्हे रोने का एक कारण देता है,
तो तुम्हारे पास मुस्कुराने के लिए 10 कारण हैं..


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आप लोग बहुत पढाई करते है आज आपके मनोरंजन के लिए एक कहानी यहाँ कापी पेस्ट कर रहा हूँ ।

क्लास रूममें प्रोफेसर ने एक सीरियस टॉपिक पर चर्चा प्रारंभ की। जैसे ही वे ब्लैकबोर्ड पर कुछ लिखने के लिए पलटे तो तभी एक शरारती छात्र ने सीटी बजाई। प्रोफेसर ने पलटकर सारी क्लास को घूरते हुए सीटी किसने मारी पूछा, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। , प्रोफेसर ने शांति से अपना सामान समेटा और आज की क्लास समाप्त बोलकर, बाहर की तरफ बढ़े। स्टूडेंट्स खुश हो गए कि, चलो अब फ्री हैं। , अचानक प्रोफेसर रुके, वापस अपनी टेबल पर पहुँचे और बोले---" चलो, मैं तुम्हें एक कहानी सुनाता हूँ , इससे हमारे बचे हुए समय का उपयोग भी हो जाएगा। "


सभी स्टूडेंट्स उत्सुकता और इंटरेस्ट के साथ कहानी सुनने लगे।,

प्रोफेसर बोले---" कल रात मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैंने सोचा कि, कार में पेट्रोल भरवाकर ले आता हूँ जिससे सुबह मेरा समय बच जाएगा।पेट्रोल पम्प से टैंक फुल कराकर मैं आधी रात को सूनसान पड़ी सड़कों पर ड्राइव का आनंद लेने लगा। , अचानक एक चौराहे के कार्नर पर मुझे एक बहुत खूबसूरत लड़की शानदार ड्रेस पहने हुए अकेली खड़ी नजर आई। मैंने कार रोकी और उससे पूछा कि, क्या मैं उसकी कोई सहायता कर सकता हूँ तो, उसने कहा कि, उसे उसके घर ड्रॉप कर दें तो बड़ी मेहरबानी होगी। , मैंने सोचा नींद तो वैसे भी नहीं आ रही है , चलो, इसे इसके घर छोड़ देता हूँ। वो मेरी बगल की सीट पर बैठी। रास्ते में हमने बहुत बातें कीं। वो बहुत इंटेलिजेंट थी, ढेरों टॉपिक्स पर उसका कमाण्ड था। जब कार उसके बताए एड्रेस पर पहुँची तो उतरने से पहले वो बोली कि, वो मेरे नेचर और व्यवहार से बेहद प्रभावित हुई है और मुझसे प्यार करने लगी है। , मैं खुद भी उसे पसंद करने लगा था। मैंने उसे बताया कि, मैं यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हूँ। वो बहुत खुश हुई फिर उसने मुझसे मेरा मोबाइल नंबर लिया और अपना नंबर दिया। अंत में उसने बताया की, उसका भाई भी यूनिवर्सिटी में ही पढ़ता है और उसने मुझसे रिक्वेस्ट की कि, मैं उसके भाई का ख़याल रखूँ। , मैंने कहा कि, तुम्हारे भाई के लिए कुछ भी करने पर मुझे बेहद खुशी होगी। क्या नाम है तुम्हारे भाई का ? , इसपर लड़की ने कहा कि, बिना नाम बताए भी आप उसे पहचान सकते हैं क्योंकि वो सीटी बहुत ज्यादा और बहुत बढ़िया बजाता है। , जैसे ही प्रोफेेसर ने सीटी वाली बात की तो, तुरंत क्लास के सभी स्टूडेंट्स उस छात्र की तरफ देखने लगे, जिसने प्रोफ़ेसर की पीठ पर सीटी बजाई थी। ,

प्रोफेसर उस लड़के की तरफ घूमे और उसे घूरते हुए बोले--- " बेटा, मैंने अपनी पी एच डी की डिग्री, आरक्षण से हासिल नहीं की है, समझे ?
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बुद्ध ने बताये कुछ मार्ग
1. *जीवन*
जब तुम पैदा हुए थे तो तुम रोए थे जबकि पूरी दुनिया ने जश्न मनाया था। अपना जीवन ऐसे जियो कि तुम्हारी मौत पर पूरी दुनिया रोए और तुम जश्न मनाओ।
2. *कठिनाइयों*
जब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों की वजह दूसरों को मानते है, तब तक आप अपनी समस्याओं एंव कठिनाइयों को मिटा नहीं सकते|
3. *असंभव*
इस दुनिया में असंभव कुछ भी नहीं| हम वो सब कर सकते है, जो हम सोच सकते है और हम वो सब सोच सकते है, जो आज तक हमने नहीं सोचा|
4. *हार ना मानना*
बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते है|
5. *हार जीत*
सफलता हमारा परिचय दुनिया को करवाती है और असफलता हमें दुनिया का परिचय करवाती है।
6. *आत्मविश्वास*
अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है
7. *महानता*
महानता कभी न गिरने में नहीं बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है|
8. *गलतियां*
अगर आप समय पर अपनी गलतियों को स्वीकार नहीं करते है तो आप एक और गलती कर बैठते है| आप अपनी गलतियों से तभी सीख सकते है जब आप अपनी गलतियों को स्वीकार करते है|
9. *चिन्ता*
अगर आप उन बातों एंव परिस्थितियों की वजह से चिंतित हो जाते है, जो आपके नियंत्रण में नहीं तो इसका परिणाम समय की बर्बादी एवं भविष्य पछतावा है|
10. *शक्ति*
ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं| वो हम हैं जो अपनी आँखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है|
11. *मेहनत*
हम चाहें तो अपने आत्मविश्वास और मेहनत के बल पर अपना भाग्य खुद लिख सकते है और अगर हमको अपना भाग्य लिखना नहीं आता तो परिस्थितियां हमारा भाग्य लिख देंगी|
12. *सपने*
सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है, सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते।
13. *समय*
आप यह नहीं कह सकते कि आपके पास समय नहीं है क्योंकि आपको भी दिन में उतना ही समय (24 घंटे) मिलता है जितना समय महान एंव सफल लोगों को मिलता है|
14. *विश्वास*
विश्वास में वो शक्ति है जिससे उजड़ी हुई दुनिया में प्रकाश लाया जा सकता है| विश्वास पत्थर को भगवान बना सकता है और अविश्वास भगवान के बनाए इंसान को भी पत्थर दिल बना सकता है|
16. *सफलता*
दूर से हमें आगे के सभी रास्ते बंद नजर आते हैं क्योंकि सफलता के रास्ते हमारे लिए तभी खुलते जब हम उसके बिल्कुल करीब पहुँच जाते है|
17. *सोच*
बारिश की दौरान सारे पक्षी आश्रय की तलाश करते है लेकिन बाज़ बादलों के ऊपर उडकर बारिश को ही avoid कर देते है। समस्याए common है, लेकिन आपका नजरिया इनमे difference पैदा करता है।
18. *प्रसन्नता*
यह पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है..ये आप ही के कर्मों से आती hai.
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मेहनत से उठा हूँ, मेहनत का दर्द जानता हूँ,_
_आसमाँ से ज्यादा जमीं की कद्र जानता हूँ।_
_लचीला पेड़ था जो झेल गया आँधिया,_
_मैं मगरूर दरख्तों का हश्र जानता हूँ।_
_छोटे से बडा बनना आसाँ नहीं होता,_
_जिन्दगी में कितना जरुरी है सब्र जानता हूँ।_
_मेहनत बढ़ी तो किस्मत भी बढ़ चली,_
_छालों में छिपी लकीरों का असर जानता हूँ।_
_कुछ पाया पर अपना कुछ नहीं माना,_
_क्योंकि आखिरी ठिकाना मेरा मिटटी का घर अपना जानता हूँ।_
_बेवक़्त, बेवजह, बेहिसाब मुस्कुरा देता हूँ,_
_आधे दुश्मनो को तो यूँ ही हरा देता हूँ!!_.

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ना जाने क्या सोच कर लहरें साहिल से टकराती हैं;
और फिर समंदर में लौट जाती हैं;
समझ नहीं आता कि किनारों से बेवफाई करती हैं;
या फिर लौट कर समंदर से वफ़ा निभाती हैं।

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चील की ऊँची उड़ान देखकर चिड़िया कभी डिप्रेशन
में नहीं आती,
वो अपने आस्तित्व में मस्त रहती है,
मगर इंसान, इंसान की ऊँची उड़ान देखकर बहुत जल्दी
चिंता में आ जाते हैं।
तुलना से बचें और मस्त रहें।
ना किसी से ईर्ष्या , ना किसी से कोई होड़,
मेरी अपनी मंजिलें मेरी अपनी दौड़..!
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कामयाबी बड़ी नही,
उसे पाने वाले बड़े होते है !
जख्म बड़े नही,
उसे भरने वाले बड़े होते है !
और रिशते बड़े नही,
उसे निभाने वाले बड़े होते है !
जब तक साँस है,
टकराव मिलता रहेगा !
जब तक रिश्ते है,
घाव मिलता रहेगा !
पीठ पीछे जो बोलते है,
उन्हें पीछे ही रहने दे !
रास्ता सही है तो गैरों से भी,
लगाव मिलता रहेगा
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Amazing Facts In Hindi About Life
जिंदगी से जुड़े रोचक तथ्य
1. हम पूरी जिंदगी में इतनी लार पैदा करते हैं, कि 2 Swimming pool भर जाए।
2. जो लोग अपने दोस्तो से अलग रहते हैं. मेरा मतलब हैं जो अकेले रहते हैं, वो 4 साल ज्यादा जीवित रहते हैं.
3. एक आदमी अपनी Life में लगभग 2,50,000 बार जंभाई लेता हैं.
4. हम अपनी Life के 3 महीने तो Toilet में गुजार देते हैं.
5. एक आदमी अपनी Life में लगभग 183,755,600 कदम चलता हैं. धरती के पूरे 5 चक्कर।
6. आदमी अपनी जिंदगी का एक साल महिलाओ को घूरने में खर्च कर देते हैं.
7. World के 80% आदमी प्रतिदिन 10$ से भी कम में गुजारा करते हैं.
8. पूरी जिंदगी में हमारी त्वचा अपने आप को लगभग 900 बार बदलती हैं9. एक आदमी अपने जीवन के 6 महीने Shaving करने में बिता देता हैं.
10. रात में 7 घंटे से कम सोना, आपके जीने की आस को कम करता हैं.
11. महिलाओ की जिंदगी के 4 साल तो मासिक धर्म में गुजर जाते हैं.
12. इंगलैंड की महिलाएं अपनी जिंदगी में 1,60,000$ तो मेकअप में खर्च कर देती हैं.
13. यदि दुनिया में हर कोई अपने हाथ ठीक से धोएँ, तो एक साल के अंदर ही 10 लाख जान बचेगी.
14. हर 5 अमेरिकन में से 1 ये मानता हैं, कि उनके जीवन के दौरान ही धरती खत्म हो जाएगी.
15. हम अपनी जिंदगी के 25 साल सोने में गुजार देते हैं.
16. पूरी जिंदगी में हमारा दिमाग लगभग 10 लाख GB Data store करता हैं.
17. 82% अमेरिकन after life में विश्वास रखते हैं.
18. एक सिगरेट आपकी जिंदगी के 11 मिनट कम करती हैं.
19. 70 लाख आदमीयों में से 1 आदमी ही 110 साल से ज्यादा जीएगा.
20. लगातार मीट खाने वाला आदमी अपनी Life में 7000 जानवर खा जाता हैं.
21. यदि धरती के इतिहास को 24 घंटे का बना दिया जाए, तो life सुबह 4 बजे शुरू होगी, पेड़-पौधे, चट्टान रात को 10:24 पर, डायनासोर 11:41 पर और मानव जीवन की शुरूआत रात को 11 बजकर 58 मिनट पर होगी.
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गहरी बात लिख दी है किसी नें 👌👌👌
👉बेजुबान पत्थर पे लदे है करोडो के गहने मंदिरो में।
उसी दहलीज पे एक रूपये को तरसते नन्हे हाथो को देखा है।।
👉सजे थे छप्पन भोग और मेवे मूरत के आगे। 
बाहर एक फ़कीर को भूख से तड़प के मरते देखा है।।
👉लदी हुई है रेशमी चादरों से वो हरी मजार।
पर बाहर एक बूढ़ी अम्मा को ठंड से ठिठुरते देखा है।।
👉वो दे आया एक लाख गुरद्वारे में हॉल के लिए।
घर में उसको 500 रूपये के लिए काम वाली बाई को बदलते देखा है।।
👉सुना है चढ़ा था सलीब पे कोई दुनिया का दर्द मिटाने को।
आज चर्च में बेटे की मार से बिलखते माँ बाप को देखा है।।
👉जलाती रही जो अखन्ड ज्योति देसी घी की दिन रात पुजारन।
आज उसे प्रसव में कुपोषण के कारण मौत से लड़ते देखा है।।
👉जिसने न दी माँ बाप को भर पेट रोटी कभी जीते जी।
आज लगाते उसको भंडारे मरने के बाद देखा है।।
👉दे के समाज की दुहाई ब्याह दिया था जिस बेटी को जबरन बाप ने।
आज पीटते उसी शौहर के हाथो सरे राह देखा है।।
👉मारा गया वो पंडित बे मौत सड़क दुर्घटना में यारो।
जिसे खुद को काल, सर्प, तारे और हाथ की लकीरो का माहिर लिखते देखा है।।
👉जिसे घर की एकता की देता था जमाना कभी मिसाल दोस्तों।
आज उसी आँगन में खिंचती दीवार को देखा है।।
👉बन्द कर दिया सांपों को सपेरे ने यह कहकर।
अब इंसान ही इंसान को डसने के काम आएगा।।
👉आत्म हत्या कर ली गिरगिट ने सुसाइड नोट छोडकर।
अब इंसान से ज्यादा मैं रंग नहीं बदल सकता।।
👉गिद्ध भी कहीं चले गए लगता है उन्होंने देख लिया कि।
इंसान हमसे अच्छा नोंचता है।।
👉कुत्ते कोमा में चले गए, ये देखकर।
क्या मस्त तलवे चाटते हुए इंसान देखा है।।
👉इस कविता को मैने आप तक पहुंचाने मे सिर्फ उंगली का उपयोग किया है।
और रचियता को सादर नमन 🙏🙏🙏 ं किया है.
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Heart touching lines
कभी कभी
आप अपनी जिंदगी से
निराश हो जाते हैं,
जोड़ 
दुनिया में उसी समय
कुछ लोग
आपकी जैसी जिंदगी
जीने का सपना देख रहे होते हैं।
घर पर खेत में खड़ा बच्चा
आकाश में उड़ते हवाई जहाज
को देखकर
उड़ने का सपना देख रहा होता है,
परंतु
उसी समय
उसी हवाई जहाज का पायलट
खेत ओर बच्चे को देख
घर लौटने का सपना
देख रहा होता है।
यही जिंदगी है।
जो तुम्हारे पास है उसका मजा लो।
अगर धन-दौलत रूपया पैसा ही
खुशहाल होने का सीक्रेट होता,
तो अमीर लोग नाचते दिखाई पड़ते,
लेकिन सिर्फ गरीब बच्चे
ऐसा करते दिखाई देते हैं।
अगर पाॅवर (शक्ति) मिलने से
सुरक्षा आ जाती
तो
नेता अधिकारी
बिना सिक्युरिटी के नजर आते।
परन्तु
जो सामान्य जीवन जीते हैं,
वे चैन की नींद सोते हैं।
अगर खुबसुरती और प्रसिद्धि
मजबूत रिश्ते कायम कर सकती
तो
सेलीब्रिटीज् की शादियाँ
सबसे सफल होती।
जबकि इनके तलाक
सबसे सफल होते हैं
इसलिए दोस्तों,
यह जिंदगी ......
सभी के लिए खुबसुरत है
इसको जी भरकर जीयों,
इसका भरपूर लुत्फ़ उठाओ
क्योंकि
जिदंगी ना मिलेगी दोबारा...
सामान्य जीवन जियें...
विनम्रता से चलें ...
और
ईमानदारी पूर्वक प्यार करें...
स्वर्ग यहीं है
एक ट्रक के पीछे एक
बड़ी अच्छी बात लिखी देखी....
"ज़िन्दगी एक सफ़र है,आराम से चलते रहो
उतार-चढ़ाव तो आते रहेंगें, बस गियर बदलते रहो"
"सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए
और
जिंदगी का मजा लेना हैं तो दिल में अरमान कम रखिए !!
तज़ुर्बा है हमारा... . .. मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है,
संगमरमर पर तो हमने .....पाँव फिसलते देखे हैं...!
👌👌👌👌😇😇
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एक बार कबीरदास जी हरि भजन करते एक गली से निकल रहे थे।
उनके आगे कुछ स्त्रियां जा रही थीं ।
उनमें से एक स्त्री की शादी कहीं तय हुई होगी तो उसके ससुरालवालों ने शगुन में एक नथनी भेजी थी ।
वह लड़की अपनी सहेलियों को बार-बार नथनी के बारे में बता रही थी कि नथनी ऐसी है वैसी है
ये ख़ास उन्होंने मेरे लिए भेजी है... बार बार बस नथनी की ही बात...
उनके पीछेे चल रहे कबीरजी
के कान में सारी बातें पड़ रही थी ।
तेजी से कदम बढाते कबीर उनके पास से निकले और कहा-
"नथनी दीनी यार ने,
तो चिंतन बारम्बार, और
नाक दिनी जिस करतार ने,
उनको तो दिया बिसार.."
सोचो यदि नाक ही ना होती तो
नथनी कहां पहनती !
यही जीवन में हम भी करते हैं।
भौतिक वस्तुओं का तो हमें ज्ञान रहता है परंतु जिस परमात्मा ने यह दुर्लभ मनुष्य देह दी और इस देह से संबंधित सारी वस्तुऐं, सभी रिश्ते-नाते दिए, उसी को याद करने के लिए हमारे पास समय नहीं होता ।
इसलिए सदा उस दाता, उस ईश्वर के आभारी रहिए।
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दोस्ती इनसे कीजिए ताकि.....
1. दोस्ती करें, फूलों से ताकि हमारी जीवन-बगिया महकती रहे।
2. दोस्ती करें, पंछियों से ताकि जिन्दगी चहकती रहे।
3. दोस्ती करें, रंगों से ताकि हमारी दुनिया रंगीन हो जाए।
4. दोस्ती करें, कलम से ताकि सुन्दर वाक्यों का सृजन होता रहे।
5.दोस्ती करें, पुस्तकों से ताकि शब्द-संसार में वृद्धि होती रहे।
6. दोस्ती करें,ईश्वर से ताकि संकट की घड़ी में वह हमारे काम आए।
7. दोस्ती करें, अपने आप से ताकि जीवन में कोई विश्वासघात ना कर सके।
8. दोस्ती करें, अपने माता-पिता से क्योंकि दुनिया में उनसे बढ़कर कोई शुभचिंतक नहीं।
9. दोस्ती करें, अपने गुरु से ताकि उनका मार्गदर्शन आपको भटकने ना दें।
10. दोस्ती करें, अपने हुनर से ताकि आप आत्मनिर्भर बन सकें।
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👌 *धन की परिभाषा* 👌
👌जब कोई बेटा या बेटी ये कहे कि मेरे माँ बाप ही मेरे भगवान् है….
*ये है “धन”*👍
👌जब कोई माँ बाप अपने बच्चों के लिए ये कहे कि ये हमारे कलेजे की कोर हैं….
*ये है “धन”* 👍
👌शादी के 20 साल बाद भी अगर पति पत्नी एक दूसरे से कहें ।
I Love you…
*ये है “धन”* 👍
👌कोई सास अपनी बहु के लिए कहे कि ये मेरी बहु नहीं बेटी है और कोई बहु अपनी सास के लिए कहे कि ये मेरी सास नहीं मेरी माँ है……
*ये है “धन”*👍
👌जिस घर में बड़ो को मान और छोटो को प्यार भरी नज़रो से देखा जाता है……
*ये है “धन”* 👍
👌जब कोई अतिथि कुछ दिन आपके घर रहने के पशचात् जाते समय दिल से कहे की आपका घर …घर नहीं मंदिर है….
*ये है “धन”*👍
ऐसी दुआ हैं मेरी कि आपको ऐसे
*”परम धन”* की प्राप्ति हो।
और अपना ग्रुप एक परिवार सा लगे
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A - You may want to leave everything & be here 
What, Where & How of it:-
Triund is a 10 km (both sides 20 Kms) steep & slightly difficult Trek from Dharamkot (McLeodganj, Dharamshala, H.P).
Volvo buses / Flights ply between Delhi & Dharamshala.
Do not stay in a Hotel in Dharamshala / McLeodganj. Rather stay in a Guest House at Dharamkot (Sensuous clouds might drench you when u stand in the balcony overlooking the valley).
Hire a taxi till Gallu Mata (charges INR 350) . Trek starts then.
The trek is steep in most parts (My 10 yr old could do it easily and the fastest). Carry lots of water, juices, light eatables along.
Bored of being a good man with a huge collection of Good Karma? Commit a grave SIN by traveling to a Hill Stn. in a peak tourist season 
Pls Pls for God sake do not go in peak season (especially vacations). We did this mistake & found a mini-Jalandhar on the hill top to our shocking surprise.
You can hire a Tent for 400 INR per person and stay overnight.
Next day you may want to Trek further to Ilaka, Snowline and try and return to Basecamp (Dharamkot).
Do not forget to have your dinner at Morgans Place (The sexiest Pizzas in the hills). Do also order for Ginger-Honey-Lemon Tea.
& Yes - proud to have been born & brought up on these hills

B - The WiFi box is at the Ground floor of my home and it is BSNL 
I expect it to provide fast speed Internet to my laptop on the 2nd floor of my house.
Failing expectation I become emotional, say bad words to it, feel frustrated etc etc etc
Dito with people !!!
1) You choose BSNL kind of people
And then
2) Your expect them to reach out to your Level (3rd floor) of Expectations ??
Don't blame someone for something which is beyond their personality or capability.
You can't get 20 MBPS from someone who is born to give 128kbps.
Your damn problem that you didn't explore the market more to identify & find much better choices which existed. You settled for the easy and cheap.
Your Life ! ONLY and ONLY you are responsible ...


C - If you are running on a worldly popular road (e.g. MBBS / Engineering / CA / family business etc.) – then run very very fast & overtake.
Otherwise choose a different direction. You will find much less traffic on that road & if you JUST BE THERE for sometime; the whole world will follow you.
Be Stellar in whatever you do. There is no point being indecisively mediocre ...
Take decisions. Intelligent, well thought out decisions and have the GUTS to stick out to them. Big Bang will happen THEN ONLY.

D - A young person’s life has two broad chapters:-
First Stage:- When people laugh at you for YOUR over enthusiasm , vague sense of humor, being loud , being in –apt etc .
The second stage:- people admire YOU for almost the same very reasons.
The second stage comes fast when YOU make more number of newer mistakes faster in life, take your lessons fast & become sharp at 'S.Q.'-Societal Quotient. Remaining in the company of people who are better than YOU helps here.
So ! don’t let YOUR enthu get diffused ; the second stage is coming soon. It comes to different people at different times…
Just keep moving !! Your right waala time is coming v v soon !

E - Once Buddha was traveling with a few of his followers.
While they were passing a lake, Buddha told one of his disciples, "I am thirsty. Do get me some water from the lake."
The disciple walked up to the lake.
At that moment, a bullock cart started crossing through the lake.
As a result, the water became very muddy and turbid.
The disciple thought, "How can I give this muddy water to Buddha to drink?"
So he came back and told Buddha, "The water in there is very muddy. I don't think it is fit to drink."
After about half an hour, again Buddha asked the same disciple to go back
to the lake.
The disciple went back, and found that the water was still muddy.
He returned and informed Buddha about the same.
After sometime, again Buddha asked the same disciple to go back.
This time, the disciple found the mud had settled down, and the water was clean and clear.
So he collected some water in a pot and brought it to Buddha.
Buddha looked at the water, and then he looked up at the disciple and said, "See what you did to make the water clean. You let it be, and the mud settled down on its own, and you have clear water."
Your mind is like that too ! When it is disturbed, just let it be. Give it a little time. It will settle down on its own.
You don't have to put in any effort to calm it down.
It will happen. It is effortless."
Having 'Peace of Mind' is not a strenuous job, it is an effortless process.



   

  F - "Manzil mere kadamon se abhi door bahut hai..
Magar, tassalli yeh hai ki KADAM mere SAATH HAIN.."
- Anonymous

G - A guy is a boy by birth, a man by age, but a gentleman by choice.
H - As you move from 20s to 30s & even beyond-
You will understand, accept & handle SUBTLETY less & GROSS more .
Gradually you'll be rendered a 'Less romanticist & a lesser Dreamer'
& yes the world around will call your progress in duniyaadaari as your Samajhdaari .
Trust me - it's a trap.
Your real real growth is in the reverse order. Thats what will create MAGIC, a Hearty life & genuine 100% moments ...
But of course your Home Loan EMI is more REAL than this SUBTLE status update


1- A very simple but profound story that brings out the Truth of today's life 
One day a school teacher wrote on the board the following:
9×1=7
9×2=18
9×3=27
9×4=36
9×5=45
9×6=54
9×7=63
9×8=72
9×9=81
9×10=90
When she was done, she looked to the students and they were all laughing at her, because of the first equation which was wrong, and then the teacher said the following,
"I wrote that first one wrong on purpose, because I wanted you to learn something important. This was for you to know how the world out there will treat you. You can see that I wrote RIGHT 9 times, but none of you congratulated me for it; you all laughed and criticized me because of one wrong thing I did. So this is the lesson...:
'The world will never appreciate the good u do a million times, but will criticize the one wrong thing u do...

Imagine going from Destination A to Destination B. You do it every morning...
Two ways to do it:-
Plan 1:-
you just get up hushed up from the bed, spend time on your mobile phone, too tired to exercise - you get sucked up into the same routine- worries, day dreaming, insecurities etc etc & then you lazily move to Destination B
Plan 2:-
Get up early. Spend 30 mins on Fitness (You'll feel like a king when you run in a park (with the Earth below your feet & the wind kissing your face) & then meditating for 15 mins & THEN going towards your destination B with a roar ...
If YOU see closely there is only one person who is stopping you from taking the Plan 2. That person is YOU.
See - it is simple ! The duniyaadaari does a brilliant job of a Shampoo (shine comes but is very abrasive if used daily). That's why one needs the conditioners - Fitness & Meditation.
It is damn Your OWN Life
Why not then 'Rise & Shine'

2- Don't CHASE people !!

Get CHOSEN by them !!!
& they'll CHOOSE & CHASE you when you spend at least 10 yrs of damn focused & one hundred percent energetic EFFORT in a career/ sport / business which has a market potential.
Insight :- 99% give away or diffuse much before 10 yrs & continue their CHASING efforts:)
You - Rise & Shine !
One Life !

3- If u r always THERE for them; people will treat u like 24*7 news channels i.e. Less respect & inferior / jabardasti content.
Be slightly hard to get !

4-

In an ancient temple, a number of pigeons lived happily on roof top.
When the renovation of the temple began for the annual temple feast the pigeons relocated themselves to a Church nearby.
The existing pigeons in the Church accommodated the new comers very well.
Christmas was nearing and the Church was given a facelift, All the pigeons had to move out and look for another place.
They were fortunate to find a place in a Mosque nearby, The pigeons in the Mosque welcomed them happily.
It was Ramadan time and the Mosque was repainted, All the pigeons now came to the same ancient temple.
One day the pigeons on top found some communal clashes below in a market square.
The baby pigeon asked the mother pigeon
"Who are these people ?
The mother replied; they are "Human beings".
The baby asked,
But why are they fighting with each other...?
The mother said "These human beings going to temple are called 'Hindus' and the people going to Church are called 'Christians' and the people going to Mosque are called 'Muslims'.
The Baby pigeon asked, "Why is it so? When we were in the Temple we were called Pigeons, when we were in the church we were called Pigeons and when we were in the Mosque, we were called Pigeons. Similarly they should be called just
'Human beings' wherever they go"?
The mother Pigeon said,
'You and me and our Pigeon friends have experienced God and that's why we are living here in a highly elevated place peacefully.
These people are yet to experience God.
Hence they are living below us and fighting and killing each other.


5- A sexy Guitar – I got one on my b’day …& paid for the BEST Guitar classes in the city.
Three things I can do :-
The BEST thing : Be disciplined in the classes for 6-7 months and LEARN it out…(Pain involved)
2nd Best THING : I do not GO to the classes at all (even after paying the money). I accept it !!!
Worst THING : – I do not GO/ Go irregularly ; but keep on feeling GUILTY about ‘Not Going’…
Ditto for MOST other things in Life !
Take Strong, Firm Decisions and LEAVE the Guilt …
6- 'Not needing SOMEONE ALWAYS' is the best position that you can be in TO MAKE IT GRANDE IN YOUR ONE LIFE.
'This SOMEONE' could be Friends, Mobile phone, TV, Day Dreaming habits or anything which occupies huge memory space in the hard disk of your MIND.
See it is simple ! You need to learn to BE ALONE for huge patches of time to generate ideas & action for 'AWESOMENESS in your Life'.
And it is not a sacrifice that you r doing by doing so. This is a prerequisite.
Kill it !
Rise & Shine !


7- Here is what I found to be the secret to that joyous, humming & smiling mind (when music feels more music & you just smile for no reason):-
DO NOT AVOID listening to that voice of intuit. That is THE VOICE of direction in Life.
That voice of intuit will tell u that YOU ARE becoming a glorified slave. The voice will keep on becoming shriller; the more you avoid it. Majority people snub that voice under the weight of their insecurities, fears, Home Loans, Car Loans, social Image etc etc. Their soul gets bought out by the false security of a constant money flow & they keep on doing work / things which do not flow from their heart.
Now & then - That voice pops up once in a while again in that duniyaadari flow. But our hardened & negotiated hearts have by then mastered the art of silencing it.
Now the secret:-
Don't avoid that voice. It is your Soul's voice. Be a Man. Stand up, listen to it & follow it to the hilt. Thats where your greatness lies. That's how you will become MASSIVE. Thats how STORIES will get created for coming generations. That's how you will SMILE looking back at your life when you grow old.
That's how you will feel LIGHT in your muscles & feel like you are FLYING.
One Life !
8- 'Your unpredictable (random) behaviour towards imp people in your life' - is the biggest cancer in your Relationship with them.
You get upset like a drama queen & they just regularly keep on 'making u Ok'
Or
You need extra large pampering (which if u do not get u react like Star Plus sops)
And THEN at the end of it YOU curse, hurt and hurl pungent words at people who r THE ones in your life.
You realize it also, say a SORRY at times too but YOU are back to your Random ways. Nahin chalega !!!
A MAN will soon take your place if you don't change your BOYISH ways & Vice-Versa.
Be the HERO. Kill the Ego & dare to creatively change your fortune in your Relationships forver...
For, if you do not have THE CREATIVITY in YOU to change YOURSELF/ imp people in your life- then whatever ELSE you do / claim to do is FAKE and real shallow.

9 - So what ? If u conquered the Everest ; BUT your mind was NOT at REST
Whoever said 'Winners never Rest' was a moron.
Winners & Top achievers know 'How to rest fully'. When they work - they FULLY work. And when they rest - 'They disconnect fully & rest 100%'.
But majority junta remains in a Grey zone. NAA poora Rest; NAA 100% focus se Kaam'. That's why they live a Pale version of Life.
Strengthen your Mind. That's where your lottery lies. Win it !!
Have a SUNDAY kind of Sunday & not a Monday kind of Sunday. Rise & Shine

10 - Right in front of my house there is a 'Jaamun' tree ...
The tree remains mostly ignored right through the year...
But then the month when Jaamuns grow on it -- the tree becomes a heartthrob for kids, young & old (funnily all of them)
YOU are like that Jaamun Tree.
People will come to you, love you for your fruits (qualities) & will not come to you ; just because you WANT them to...
No one is interested in you; because of YOU. They are interested in YOU because of your fruit (qualities) bearing abilities.
Take that !!

11 - A nice story of Adi Shankaracharya teaching his students how to empty and free their mind:
"Adi Sankara was walking through the market place with his disciples.
They saw a man dragging a cow by a rope.
Sankara told the man to wait and asked his disciples to surround them.
“I am going to teach you something” and continued...
“Tell me who is bound to whom? Is the cow bound to this man or the man is bound to the cow?"
The disciples said without hesitation “Of course the cow is bound to the man!. The man is the master. He is holding the rope. The cow has to follow him wherever he goes. The man is the master and the cow is the slave.”
“Now watch this”, said Sankara and took a pair of scissors from his bag and cut the rope.
The cow ran away from the master and the man ran after his cow. “Look, what is happening”, said Sankara
“Do you see who the Master is? The cow is not at all interested in this man. The cow in fact, is trying to escape from this man.
This is the case with our MIND.
Like the cow, all the non-sense that we carry inside is not interested in us. WE ARE INTERESTED IN IT, we are keeping it together somehow or the other. We are going crazy trying to keep it all together under our control.
The moment we lose interest in all the garbage filled in our head, and the moment we understand the futility of it, it will start to disappear. Like the cow, it will escape and disappear.”
We can allow disappearing of all the unwanted things from our mind and feel relaxed.

12 - Your GOALS & Dreams are a Huge File (Thousands of GB)
When you use the broadband of 'Self Discipline' - the download speed you get is greater than 5 Mbps. (Payment of course is v high here:- High Energy & extreme self discipline)
99% junta works at 128 kbps & keeps on blaming the external circumstances for their fate ...
Your Speed ! Your choice ! Your Life ..

13 - One day a construction supervisor from 6th floor of building was calling a worker working on the ground floor. Because of construction noise, the worker on ground floor did not hear his supervisor calling.
Than, to draw the attention of worker, the supervisor threw a 10 rupee note from up which fell right around in front of the worker.
The worker picked up the 10 rupee note, put it in his pocket & continued with his work.
Again to draw the attention of worker, the supervisor now threw 500 rupee note & the worker did the same, picked 500 rupee note, put it in his pocket & started doing his job.
Now to draw attention of the worker, the supervisor picked a small stone & threw on worker. The stone hit exactly the worker head. This time the worker looked up & the supervisor communicated with the worker.
This story is same as of our life. Lord from up wants to communicate with us, but we are busy doing our worldly jobs. Then God give us small gifts & we just keep it without seeing from where we got it.
Then God gives us amounts (gifts) & we are the same. Just keep the gifts without seeing from where it come & without thanking God. We just say we are LUCKY.
Then when we are hit with a small stone, which we call problems, then we look up & we communicate with God.
So every time we get gift, we should thank God immediately, and not wait till we are hit by a small stone, and then we should communicate with God

14 - Just ONE decision. ONE strong Decision !!!
Possibly only ONE decision is keeping you away from an awesome Life that awaits you.
Take that Decision !! One Life !

15 -

'Once there was a king who received a gift of two magnificent falcons from Arabia. They were peregrine falcons, the most beautiful birds he had ever seen. He gave the precious birds to his head falconer to be trained.
Months passed and one day the head falconer informed the king that though one of the falcons was flying majestically, soaring high in the sky, the other bird had not moved from its branch since the day it had arrived.
The king summoned healers and sorcerers from all the land to tend to the falcon, but no one could make the bird fly. He presented the task to the member of his court, but the next day, the king saw through the palace window that the bird had still not moved from its perch. Having tried everything else, the king thought to himself, "May be I need someone more familiar with the countryside to understand the nature of this problem." So he cried out to his court, "Go and get a farmer."
In the morning, the king was thrilled to see the falcon soaring high above the palace gardens. He said to his court, "Bring me the doer of this miracle."
The court quickly located the farmer, who came and stood before the king. The king asked him, "How did you make the falcon fly?"
With head bowed, the farmer said to the king, " It was very easy, your highness. I simply cut the branch of the tree where the bird was sitting."
Moral :-
We are all made to fly - to realize our incredible potential as human beings. But instead of doing that, we sit on our branches, clinging to the things that are familiar to us. The possibilities are endless, but for most of us, they remain undiscovered. We conform to the familiar, the comfortable, the mundane. So for the most part, our lives are mediocre instead of exciting, thrilling and fulfilling. So let us learn to destroy the branch of fear we cling to and free ourselves to the glory of flight..

16 - Why should you waste your time / energy & emotion over someone who doesn't even have time/ energy or emotion to even ask you if YOU ARE OK ??
Don't chase. Chase a better thing rather :- 'Your own career, your fitness & your own mental strength'.
Let your strong personality take you SO FAR that no idiot is able to chase you down.
No one cares for or is interested in your weak mind. Be awesomely spectacular in handling your own self.

17 - If u see closely; majority of our worries / anxieties are 'Money Related' (for people who are 25+)
We r trying to exert too hard to save some from here & there, gain an advantage there or here. And if u see more closely majority of the times the amounts of money / stakes that we worry for are small (At least much much smaller than the larger picture).
Here is my take on this:-
1) If you are focusing on small amounts - the law of attraction will keep you small : Small in mindset, smaller in gains & smallest in luck.
Pay out those small amounts & BUY out momentum, luck & peace.
2) Worrying about small issues & amounts-- punctures & dissipates your CONCENTRATION on any thing which is more valid to you in your life.
Just imagine if u were to use double your concentration to solve business, family and whatever u r onto ???
3) As I look back at my life & also of so many others around - RICH become RICHER by first being rich in their heart than by becoming a miser.
4) The premise that 'Boond Boond se Sagar Banta hai' is falsely true. As I will prefer to concentrate to find smart ways to buy a bucket to gather water THAN carry single water drops to my home.
5) Whatever your parents and teachers told you / conditioned your mind with may not be fully valid in today's times (as the world has significantly changed in the last few years).
Find / Identify your own smart model & style of living out your life.
Don't buy 'Sincerity Stress'. Buy elegant algorithms to live your 'One Life' ...
Grace is so, so better THAN Grease.


18 - How often do you let others people's nonsense change your mood?
Do you let a bad driver, rude waiter, ride boss, or an insensitive employee ruin your day? Unless you are the Terminator, for an instant you are probably set back on your heels. However, the mark of a successful person is how quickly he/she can get back her focus on what is important.
Sixteen years ago I learned this lesson. I learned it in the back of a Newyork City Taxi cab. Here's what happened,
I hopped in a taxi, and we took off for Grand Central Station, We were driving in the right lane when, all of a sudden, a black car jumped from the parking space right in the front of us. My taxi driver slammed his breaks, skidded, and missed the other car's back end by just inches.
The driver of the other car, the guy who almost caused a big accident, whipped his head around & he started yelling bad words at us.
My taxi driver just smiled & waved at the guy, and I mean he was friendly. So I said, " why did you just do that? This guy almost ruined your car & sent us to the hospital!'
And this is when my taxi driver told me what I now call, "The law of Garbage truck"
Many people are like garbage trucks. They run around full of garbage, full of frustration, full of anger, & full of disappointment, as their garbage piles up, they need a place to dump it. And if you let them, they will dump it on you. When someone wants to dump on you, don't take it personally.
You just smile, wave, wish them well, and move on. You will be happy you did.
So this was it: The ' Law of the Garbage Truck'. I started thinking, how often do I let Garbage Trucks run right over me? And how often do I take their garbage & spread it to the other people: at work, at home. "

19 - "Maybe everything is Good & you are just semi-sad because of your hardened habit to feel & look like this " ?
Maybe YOU have come to believe that "you need to worry to feel that you are progressing in Life ?
Maybe you r just not savoring the good things in your own life when lakhs might just be dreaming to have a life as yours ?
Maybe YOUR worst nightmare is someone else's fondest dream ?
- Just told this to my nearing 40 friend who looks so damn lost in the imaginary whirlpool of "To Dos" of his One Life .
Felt like SHARING with you. Maybe someone in your family , friend list needs to be violently shaken and be told this. Maybe

20 -  What Spiderman said -
"Whatever comes our way, whatever battle we have raging inside us, we always have a choice. We can choose to be the best of ourselves. It's the choices that make us who we are, and we can always choose to do what's right............................."

21 - hey focus their majority efforts:-
- in speaking useless things e.g. problems around (over which they have no control)
- accusing , blaming, criticizing people
- feeling Victimized (mere saath hee aisa kyun hota hai etc etc )
They are REACTIVE people & they have a very high probability to spend their entire lives living like that (Habits ! you know  )
Ignore them for if you answer, explain or try to change them - YOU will only burn your time & precious Energy.
I did that actively in the last few years & FELT a big big difference.
Be PROACTIVE about YOUR own agendas. Chuck the REACTIVE agents from your mind laboratory !!!
Begin TODAY !

Story Credit:- Akash Gautam- Motivational Speaker, Happy Guy


पहले अपने अंदर झांको

🔴 पुराने जमाने की बात है। गुरुकुल के एक आचार्य अपने शिष्य की सेवा भावना से बहुत प्रभावित हुए। विधा पूरी होने के बाद शिष्य को विदा करते समय उन्होंने आशीर्वाद के रूप में उसे एक ऐसा दिव्य दर्पण भेंट किया, जिसमें व्यक्ति के मन के भाव को दर्शाने की क्षमता थी।
🔵 शिष्य उस दिव्य दर्पण को पाकर बहुत खुश हुआ। उसने परीक्षा लेने की जल्दबाजी में दर्पण का मुँह सबसे पहले गुरुजी के सामने ही कर दिया। वह यह देखकर आश्चर्यचकित हो गया कि गुरुजी के हृदय में मोह, अहंकार, क्रोध आदि दुर्गुण परिलक्षित हो रहे थे। इससे उसे बड़ा दुख हुआ। वह तो अपने गुरुजी को समस्त दुर्गुणों से रहित सत्पुरुष समझता था।
🔴 दर्पण लेकर वह गुरुकुल से रवाना हो गया। उसने अपने कई मित्रों तथा अन्य परिचितों के सामने दर्पण रखकर परीक्षा ली। सब के हृदय में कोई न कोई दुर्गुण अवश्य दिखाई दिया। और तो और अपने माता व पिता की भी वह दर्पण से परीक्षा लेने से नहीं चूका। उनके हृदय में भी कोई न कोई दुर्गुण देखा, तो वह हतप्रभ हो उठा। एक दिन वह दर्पण लेकर फिर गुरुकुल पहुँचा।
🔵 उसने गुरुजी से विनम्रतापूर्वक कहा- “गुरुदेव, मैंने आपके दिए दर्पण की मदद से देखा कि सबके दिलों में तरह तरह के दोष और दुर्गुण हैं।“
🔴 तब गुरु जी ने दर्पण का रुख शिष्य की ओर कर दिया। शिष्य दंग रह गया। क्योंकि उसके मन के प्रत्येक कोने में राग,द्वेष, अहंकार, क्रोध जैसे दुर्गुण थे।
🔵 तब गुरुजी बोले- “वत्स यह दर्पण मैंने तुम्हें अपने दुर्गुण देखकर जीवन में सुधार लाने के लिए दिया था। दूसरों के दुर्गुण देखने के लिए नहीं। जितना समय तुमने दूसरों के दुर्गुण देखने में लगाया, उतना समय यदि तुमने स्वयं को सुधारने में लगाया होता तो अब तक तुम्हारा व्यक्तित्व बदल चुका होता। मनुष्य की सबसे बड़ी कमजोरी यही है कि वह दूसरों के दुर्गुण जानने में ज्यादा रुचि रखता है। वह स्वयं को सुधारने के बारे में नहीं सोचता। इस दर्पण की यही सीख है जो तुम नहीं समझ सके।“
🔴 दोस्तों ये हम पर भी लागु होती है। हममें से भी ज़्यादातर लोग अपने अंदर छिपी बड़ी बड़ी बुराइयों को, दुर्गुणों को, गलत आदतों को भी सुधारना नहीं चाहते। लेकिन दूसरों की छोटी छोटी बुराइयों को भी उसके प्रति द्वेष भावना रखते हैं या उसे बुरा भला कहते हैं या फिर दूसरो को सुधरने के लिए उपदेश देने लग जाते हैं। तो सबसे पहले अपने अंदर झांको और अपनी बुराइयों को दूर करो।

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 बड़ा बनना है तो बड़ा सोचो
🔴 एक बार एक बहुत गरीब परिवार का बेरोजगार युवक नौकरी की तलाश में किसी दूसरे शहर जाने के लिए रेलगाड़ी से सफ़र कर रहा था। घर में कभी-कभार ही सब्जी बनती थी, इसलिए उसने रास्ते में खाने के लिए सिर्फ रोटियां ही रखी थी।
🔵 आधा रास्ता गुजर जाने के बाद उसे भूख लगने लगी, और वह टिफिन में से रोटियां निकाल कर खाने लगा। उसके खाने का तरीका कुछ अजीब था, वह रोटी का एक टुकड़ा लेता और उसे टिफिन के अन्दर कुछ ऐसे डालता मानो रोटी के साथ कुछ और भी खा रहा हो, जबकि उसके पास तो सिर्फ रोटियां ही थीं!
🔴 उसकी इस हरकत को आस पास के और दूसरे यात्री देख कर हैरान हो रहे थे। वह युवक हर बार रोटी का एक टुकड़ा लेता और झूठमूठ का टिफिन में डालता और खाता। सभी सोच रहे थे कि आखिर वह युवक ऐसा क्यों कर रहा था। आखिरकार एक व्यक्ति से रहा नहीं गया और उसने उससे पूछ ही लिया कि भैया तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, तुम्हारे पास सब्जी तो है ही नहीं, फिर रोटी के टुकड़े को हर बार खाली टिफिन में डालकर ऐसे खा रहे हो मानो उसमे सब्जी हो।
🔵 तब उस युवक ने जवाब दिया, “भैया , इस खाली ढक्कन में सब्जी नहीं है लेकिन मै अपने मन में यह सोच कर खा रहा हूँ कि इसमें बहुत सारा आचार है, मै आचार के साथ रोटी खा रहा हूँ।”
🔴 फिर व्यक्ति ने पूछा, “खाली ढक्कन में आचार सोच कर सूखी रोटी को खा रहे हो तो क्या तुम्हे आचार का स्वाद आ रहा है?”
🔵 “हाँ, बिलकुल आ रहा है, मै रोटी के साथ अचार सोचकर खा रहा हूँ और मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा है।”, युवक ने जवाब दिया।
🔴 उसकी इस बात को आसपास के यात्रियों ने भी सुना, और उन्ही में से एक व्यक्ति बोला, “कि भाई! जब तुम्हे सोचना ही था तो तुम आचार की जगह पर कुछ अच्छी सी सब्जी सोचते जैसे, मटर पनीर, शाही पनीर, मलाई कोफ्ता आदि ….तुम्हे इनका स्वाद भी मिल जाता। तुम्हारे कहने के मुताबिक तुमने आचार सोचा तो तुम्हे आचार का स्वाद आया तो अगर तुम और स्वादिष्ट चीजों के बारे में सोचते तो उनका स्वाद भी तुम्हे आता। जब सोचना ही था तो भला छोटा क्यों सोचो बड़ा क्यों नहीं, तुम्हे तो बड़ा सोचना चाहिए था।”
🔵 मित्रों, ये बात हमारी ज़िंदगी के हर पल में लागू होती है। हम जैसा सोचते हैं वैसे ही बन जाते हैं और फिर हमें वैसे ही आनंद आने लगता है। कभी कभी हम बहुत छोटा सोचते हैं और हम उसी के अनुसार कार्य करने लग जाते हैं। बाद में जब वक़्त गुजर जाता है तो हमें एहसास होता है कि अगर हमने थोड़ा और बड़ा और बेहतर सोचा होता तो शायद ज़िंदगी बदल भी सकती थी।
🔴 इसलिए मित्रों, हमेशा बड़े सपने देखो , बड़ा सोचो , बड़े लक्ष्य बनाओ। जब हमारी सोच बड़ी होगी तभी हम कुछ बड़ा कर सकते हैं और तभी हमें कुछ बड़ा मिलेगा।

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TRICK TO REMEMBER TYPE OF TAXES

DIRECT TAXES
Trick :— “wepro.co.in ”
We—Wealth tax
Pro —Property tax
Co —-Corporate tax
In —–Income tax
INDIRECT TAXES
Trick :— “Excuse me”
Ex ——Excise tax
Cu ——-Custom tax
Se——-Service tax
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एक कंपनी के कर्मचारी एक दिन जब ऑफिस पहुंचे तो उन्हें गेट पर ही एक बड़ा सा नोटिस लगा मिला जिसमें लिखा था –
“इस कंपनी में जो व्यक्ति आपको आगे बढ़ने से रोक रहा था कल उसकी मृत्यु हो गयी है.
हम आपको उसे आखिरी बार देखने का मौका दे रहे हैं , कृपया बारी-बारी से मीटिंग हॉल में जाएं और उसे देखने का कष्ट करें .”
जो भी नोटिस पढता उसे पहले तो दुःख होता लेकिन फिर जिज्ञासा हो जाती कि आखिर वो कौन था जिसने उसकी तरक्की रोक रखी थी … और वो हॉल की तरफ चल देता … देखते देखते हॉल के बाहर काफी भीड़ इकठ्ठा हो गयी. लेकिन गार्ड्स ने सभी को रोक रखा था और उन्हें एक -एक कर के अन्दर जाने दे रहे थे.
सबने देखा कि अन्दर जाने वाला व्यक्ति काफी गंभीर हो कर बाहर निकलता , मानो उसके किसी करीबी की मृत्यु हुई हो !
इस बार अन्दर जाने की बारी एक पुराने कर्मचारी की थी … उसे सब जानते थे, सबको पता था कि उसे हर एक चीज से शिकायत रहती है … कंपनी से, बॉस से, सहकर्मियों से, वेतन से हर एक चीज से ! पर आज वो थोडा खुश लग रहा था …उसे लगा कि चलो जिसकी वजह से उसकी लाइफ में इतनी प्रोब्लम्स थीं वो गुजर गया …
अपनी बारी आते ही वह तेजी से हॉल के अन्दर रखे ताबूत के पास पहुंचा और बड़ी जिज्ञासा से उचक कर अन्दर झाँकने लगा … पर ये क्या ? ताबूत के अन्दर कोई बॉडी नहीं थी बल्कि एक बड़ा सा आइना रखा हुआ था !
उसे क्रोध आया और वह चिल्लाने को हुआ तभी उसकी नज़र आईने के बगल में लिखे सन्देश पर पड़ी –
“इस दुनिया में केवल एक ही व्यक्ति है जो आपकी तरक्की रोक सकता है और वो आप खुद हैं . इस पूरे संसार में आप ही वह अकेले व्यक्ति हैं जो आपकी ज़िन्दगी में क्रांति ला सकता है.”
कहानी का सार यह है कि – “आपकी ज़िन्दगी तब नहीं बदलती जब आपका बॉस बदलता है, जब आपके दोस्त बदलते हैं, जब आपके पार्टनर बदलते हैं, या जब आपकी कंपनी बदलती है …. ज़िन्दगी तब बदलती है जब आप बदलते हैं, जब आप इस बात को स्वीकार करते हैं कि अपनी ज़िंदगी के लिए सिर्फ और सिर्फ आप जिम्मेदार हैं.”
हर इंसान में असीम क्षमता का भण्डार होता है. अपने आपको पहचानो और आगे बढ़ो.

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 संघर्ष से ही हमारी जड़ें मजबूत होती हैं।
🔴 एक बार एक युवक को संघर्ष करते – करते कई वर्ष हो गए लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। वह काफी निराश हो गया, और नकारात्मक विचारो ने उसे घेर लिया। उसने इस कदर उम्मीद खो दी कि उसने आत्महत्या करने का मन बना लिया। वह जंगल में गया और वह आत्महत्या करने ही जा रहा था कि अचानक एक सन्त ने उसे देख लिया।
🔵 सन्त ने उससे कहा – बच्चे क्या बात है , तुम इस घनघोर जंगल में क्या कर रहे हो?
🔴 उस युवक ने जवाब दिया – मैं जीवन में संघर्ष करते -करते थक गया हूँ और मैं आत्महत्या करके अपने बेकार जीवन को नष्ट करने आया हूँ। सन्त ने पूछा तुम कितने दिनों से संघर्ष कर रहे हों?
🔵 युवक ने कहा मुझे दो वर्ष के लगभग हो गए, मुझे ना तो कहीं नौकरी मिली है, और ना ही किसी परीक्षा में सफल हो सकां हूँ।
🔴 सन्त ने कहा– तुम्हे नौकरी भी मिल जाएगी और तुम सफल भी हो जायोगे। निराश न हो , कुछ दिन और प्रयास करो।
🔵 युवक ने कहा– मैं किसी भी काम के योग्य नहीं हूँ, अब मुझसे कुछ नहीं होगा।
🔴 जब सन्त ने देखा कि युवक बिलकुल हिम्मत हार चुका है तो उन्होंने उसे एक कहानी सुनाई।
🔵 “एक बार ईश्वर ने दो पौधे लगाये , एक बांस का, और एक फर्न (पत्तियों वाला) का।
🔴 फर्न वाले पौधे में तो कुछ ही दिनों में पत्तियाँ निकल आई। और फर्न का पौधा एक साल में काफी बढ़ गया पर बाँस के पौधे में साल भर में कुछ नहीं हुआ।
🔵 लेकिन ईश्वर निराश नहीं हुआ।
🔴 दूसरे वर्ष में भी बाँस के पौधे में कुछ नहीं हुआ। लेकिन फर्न का पौधा और बढ़ गया।
🔵 ईश्वर ने फिर भी निराशा नहीं दिखाई।
🔴 तीसरे वर्ष और चौथे वर्ष भी बाँस का पौधा वैसा ही रहा, लेकिन फर्न का पौधा और बड़ा हो गया।
🔵 ईश्वर फिर भी निराश नहीं हुआ।
🔴 फिर कुछ दिनों बाद बाँस के पौधे में अंकुर फूटे और देखते – देखते कुछ ही दिनों में बाँस का पेड़ काफी ऊँचा हो गया।
🔵 बाँस के पेड़ को अपनी जड़ों को मजबूत करने में चार पाँच साल लग गए।
🔴 सन्त ने युवक से कहा – कि यह आपका संघर्ष का समय, अपनी जड़ें मजबूत करने का समय है। आप इस समय को व्यर्थ नहीं समझे एवं निराश न हो। जैसे ही आपकी जड़ें मजबूत ,परिपक्व हो जाएँगी, आपकी सारी समस्याओं का निदान हो जायेगा। आप खूब फलेंगे, फूलेंगे, सफल होंगें और आकाश की ऊँचाइयों को छूएंगें।
🔵 आप स्वंय की तुलना अन्य लोगों से न करें।
🔴 आत्मविश्वास नहीं खोएं। समय आने पर आप बाँस के पेड़ की तरह बहुत ऊँचे हो जाओगे। सफलता की बुलंदियों पर पहुंचोगे।
बात युवक के समझ में आ गई और वह पुन : संघर्ष के पथ पर चल दिया।
🔵 दोस्तों, फर्न के पौधे की जड़ें बहुत कमज़ोर होती हैं जो जरा सी तेज़ हवा से ही जड़ से उखड जाता है। और बाँस के पेड़ की जड़ें इतनी मजबूत होती हैं कि बड़ा सा बड़ा तूफ़ान भी उसे नहीं हिला सकता।
🔴 इसलिए दोस्तों संघर्ष से घबराये नहीं। मेहनत करते रहें और अपनी जड़ों को इतनी मजबूत बना लें कि बड़े से बड़ी मुसीबत, मुश्किल से मुश्किल हालात आपके इरादो को कमजोर ना कर सके और आपको आगे बढ़ने से रोक ना सके।
🔵 किसी से भी अपनी तुलना ना करे , सकारात्मक सोच और आत्मविश्वास के साथ अपने लक्षय की और बढ़ते रहे। आप जरूर सफल होंगे और आसमान की बुलंदियों को छुयेंगें।

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एक राज्य में एक रिवाज था. राज्य में राजा की नियुक्ति सिर्फ पांच साल के लिए ही होती थी. राजा के गद्दी संभालने के पांच साल बाद नए राजा का चुनाव होता था. पुराने राजा को राज्य की नदी के उस पार जंगल में भेज दिया जाता. नए राजा का दिल से स्वागत-सत्कार किया जाता और दूसरे को जंगल में विदा कर दिया जाता. पुराना राजा जंगल में दो-चार दिन डरा-डरा सा, सहमा हुआ घूमता. बाद में किसी जंगली जानवर का शिकार हो जाता.
गांव में नए राजा की नियुक्ति की भी अजीब प्रथा थी. गांव के सभी लोग उस दिन इक्कठ्ठे होते और हाथी की सूंड में फूलों का हार थमा देते. हाथी जिसे उस हार को पहनाता वो शख्स अगले पांच साल तक जंगल का राजा चुन लिया जाता.
पद मिलने के बाद राजा बना शख्स फूला नहीं समाता और अगले पांच साल तक जमकर भोग-विलास करता. इतनी भव्यता और ऐश-ओ-आराम के बाद जब पांच साल बाद उसे जंगल जाने के लिए भेजा जाता तो वो जाने के लिए तैयार नहीं होता. लेकिन परंपरा के मुताबिक उसे जबरदस्ती रस्सी से बांधकर, घसीटकर, मार-पीटकर खुंखार जानवरों से भरे जंगल में छोड़ दिया जाता.
सालों से चली आ रही इस परंपरा के मुताबिक एक राजा का पांच साल का राजकाज खत्म हुआ. राजपाट के आखिरी दिन उसे पकड़ने के लिए सिपाही आए. जब सिपाही राजा को बांधने के लिए आगे बढ़े तो राजा ने बिना डरे पूरे रुआब से उन्हें रूक जाने का आदेश दिया. राजा का कांफिडेंस देखकर सैनिक सहम गए. सैनिक कुछ कहते उससे पहले ही राजा ने कहा कि वो एक राजा है और राजा की तरह ही ठाट-बाट से वो घने जंगलों में जाएगा.
हर पांच साल बाद जब राजा कि विदाई का वक्त आता था तो पूरे गांव के लोग उसे रस्सी से बंधा हुआ देखते थे. हैरान परेशान. जान बचाने की भीख मांगते हुए, रोते चिल्लाते हुए, गिड़गिड़ाते हुए. लेकिन पहली बार ऐसा हो रहा था कि राजा रोब से हाथी पर बैठकर गांव से विदा हो रहा था. सैनिकों के बीच गर्व से चलता राजा गर्व से मुस्कुरा रहा था.
नदी के उस पार जाने के लिए नाव भी तैयार थी. राजा को नाव में बैठाया गया. मुस्कुराते हुए राजा को देखकर नाव वाला भी उलझन में पड़ गया. नाव जब बीच नदी में पहुंची तब नाविक ने राजा से पूछा, "महाराज आप तो बहुत खुश लगते हैं, यह देखकर मुझे बहुत आश्चर्य हो रहा है. आप को उस घने जंगल से डर नहीं लगता है?" तब गंभीर मुद्रा में राजा ने नाविक से जो बात कही वो बेहद ही मार्के की है. राजा ने कहा, "आखिर तुमने मुझे थोड़ा-सा पहचाना तो सही. देखो भाई, जिस दिन हाथी ने मेरे गले में हार डाला उस दिन मुझे दिल ही दिल में खुशी तो हुई पर पहले ही दिन से मुझे पांच साल के बाद मेरी हालत क्या होने वाली है वो दिखाई देने लगी थी". इसलिए पहले दिन से ही मैंने अगले पांच साल के बाद की प्लानिंग शुरु कर दी थी.
पहले साल मैंने अपने मंत्री को भेजकर मजदूरों के जरिए पूरा जंगल साफ करवा दिया. दूसरे साल नए राज्य के निर्माण का आदेश दिया और राजमिस्त्री को वहां भेज दिया. उन्होंने मेरे लिए बेहतरीन महल तैयार कर दिया. गांव के लोगों के लिए भी नए घर मैंने वहां पर बनवाए. तीसरे साल नगर के अच्छे और ज्ञानी लोगों को सपरिवार वहां रहने के लिए भेजा. चौथे साल लोगों को कारोबार करने लिए वहां भेजकर कारखाने लगवाए. आज पांच साल खत्म हो चुके हैं मेरा नया नगर भी बनकर तैयार है. आज एक राज्य ने मुझे विदा किया तो दूसरा राज्य मेरे स्वागत के लिए तैयार है.
इस राज्य में परंपरा के मुताबिक राजा आए. पांच साल तक ऐश-ओ-आराम में डूबे रहे, पर भविष्य के बारे में कभी नहीं सोचा. अंत में दु:ख भोगते हुए, दुनिया पर दोष मढ़ते हुए इस दुनिया से विदा हो गए.
ये कहानी आपके लिए क्यों जरुर है?
ये कहानी कंपटिशन की तैयारी करनेवाले हर छात्र पर बिल्कुल फिट बैठती है. जिस दिन आपने तैयारी के लिए मन बनाया समझ लीजिए उसी दिन आप राज बन गए, लेकिन स्थायी तौर पर क्योंकि जबतक आप सलेक्ट नहीं होगे आप राजसी ठाट-बाट के हकदार नहीं होंगे. आपको तैयारी के दौरान कोई कष्ट ना हो इसके लिए आपके मां-बाप ने पेट काटकर आपको पढ़ने का मौका दिया है. अब ये आपके हाथ है कि आप मां-बाप से मिले पैसे का इस्तेमाल कैसे करते हैं? दूसरे छात्रों की तरह तैयारी के दौरान घर से मिले पैसों को ऐशो-आराम, दोस्ती-यारी और फालतू की कोचिंगों पर उड़ाते हैं या फिर प्लानिंग करके भविष्य की तैयारी करते हैं.
कंपटिशन की तैयारी के दौरान अगर ऐशो-आराम की जिंदगी जीने और दूसरों की तरह बिना किसी प्लानिंग के तैयारी करेंगे तो लाखों छात्रों की तरफ असफल होकर डिप्रेशन में चले जाएंगे. वक्त रहते होश में आ जाइए. समय बीतने में समय नहीं लगता. लेकिन अगर सही रणनीति और टाइम मैनेजमेंट के साथ आगे बढ़ोंगे तो बुद्धिमान राजा की तहर जिंदगी भर राज करोगें.
प्लानिंग से काम नहीं करोगे तो वहीं होगा जो बेवकूफ राजाओं के साथ हुआ जब तक वक्त था भोग-विलास करोंगे और फिर रोते-गिड़गिड़ाते, हताश-निराश, कोचिंग के फालतू नोट्स पढ़कर परीक्षा हॉल में जाओगे और फिर बोरिया-बिस्तर बांधकर जंगल रूपी उस सामाज में वापस लौटोगे जहां जंगली जानवर आपका शिकार करने के लिेए ताक में बैठे हैं. बुद्धिमान राजा की तरह काम करो. रणनीति बनाओ. कोचिंग के मायाजाल से बचो. सफल लोगों से मिलो और प्रमाणिक किताबों से अपने खुद के नोट्स बनाओ. फिर देखो कमाल. शान से परीक्षा हाल में जाओगे और सफल होग राजसी ठाट-बाट से जिंदगी जिओगे.
सालभर की प्लानिंग आज ही करो, अभी करो, तुरंत करो. जो हुआ उसे भूल जाओ. नए जोश के साथ तैयारी में जुट जाओ, दूसरों को मत देखों क्योंकि उनका ये हाल दूसरों को देखने के चक्कर में ही हुआ है. खुद की ताकत को पहचानों, जिस भी परीक्षा की तैयारी में लगे हो उसके मुताबिक सालभर की तैयारी का प्लान बनाओं. देखना बुद्धिमान राजा की तरह आप भी परीक्षा हाल में जाओगे और सफल होकर राजा की तरह जिंदगी जीओगे.
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A very imp professional learning (in retrospect) :-
A few of my assignments with Corporates (in the last 4-5 months) were Training work which was tough & initially I believed was beyond my potential.
I took them up out of sheer over confidence thinking that the sharpener will automatically sharpen the pencil.
The lessons learned :-
1) If YOU are regularly getting work which is way above your potential - YOU ARE GROWING ...You can then raise your rates & people will be happy paying.
2) If you are constantly getting similar kind of work i.e. if your work day is like any other day - YOU ARE JUST VEGETATING (even if you are earning money; you will feel nausea soon).
3) If your work seems v easy to you - OBSOLESCENCE will knock you very soon. Your prices will automatically come down as many like you will birth up.
Interest / passion / average skill sets do not matter. Crap they are.
People will pay u money for your extremely sharpened skill ONLY.
Get yourself into that damn SHARPENER & jump out with that EUPHORIC feeling...

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A story - you might just Louuuu 
A Hindu saint who was visiting river Ganges to take bath found a group of family members on the banks, shouting in anger at each other. He turned to his disciples smiled ‘n asked.
‘Why do people shout in anger shout at each other?’
Disciples thought for a while, one of them said, ‘Because we lose our calm, we shout.’
‘But, why should you shout when the other person is just next to you? You can as well tell him what you have to say in a soft manner.’ asked the saint
Disciples gave some other answers but none satisfied the other disciples.
Finally the saint explained, .
‘When two people are angry at each other, their hearts distance a lot. To cover that distance they must shout to be able to hear each other. The angrier they are, the stronger they will have to shout to hear each other to cover that great distance.
What happens when two people fall in love? They don’t shout at each other but talk softly, Because their hearts are very close. The distance between them is either nonexistent or very small…’
The saint continued, ‘When they love each other even more, what happens? They do not speak, only whisper ‘n they get even closer to each other in their love. Finally they even need not whisper, they only look at each other ‘n that’s all. That is how close two people are when they love each other.’
He looked at his disciples and said.
‘So when you argue do not let your hearts get distant, Do not say words that distance each other more, Or else there will come a day when the distance is so great that you will not find the path to return.’


It's Karl Marx's birthday . Here are five things you didn't know about him

Karl Heinrich Marx was born on May 5, 1818, in Trier, Germany. A philosopher, economist, sociologist, historian, journalist, and revolutionary socialist, Marx's work in economics laid the foundation for how we understand labour and its relation to capital. Most of the subsequent economic thought is based on his works.

At the height of his fame, he was known as a demon by many and as a hero by others. He was the man who laid the foundation for a political system that existed for most of the 20th century and which affected millions. It is a different matter that the system was noted for its remarkable failures, yet it continues to have plenty of followers.

On his birth anniversary today, here are five interesting facts about Karl Marx that you did not know.

1. He once famously said, "All I know is I'm not a Marxist."

Karl Marx

He is reported to have said this at a conference for Marxists which he had gone to attend. However, incensed by how they had twisted his works, he had said that if these are Marxists, then he's not one.

2. As a student, Marx was a social butterfly and his father had to bail him out when he was in university because he had racked up an enormous debt.
3. A self-proclaimed champion of the working class, he never once in his life did a labour job.Karl Marx: An exclusive interview with his biographer 
A holder of various degrees, no university allowed him to teach as he proclaimed himself to be an atheist. His writings in a radical newspaper got him expelled from Germany. He married Jenny, a baroness, who loved him and was devoted to him. They moved to Paris, from where he was expelled again due to his writing. On their return home to Germany, they were expelled again after he insulted the church and the government.
The couple moved to London, where they stayed for 30 years. They had six children. Marx also had a child from a mistress. The Marx family lived in dire and abject poverty. He tried to find gainful regular employment only once - as a clerk in a railway office - but was turned down because of his illegible handwriting. Living in abject poverty and deep in debt, three of his children died of malnutrition or lack of proper care. Their condition was said to be so dismal that he couldn't afford to buy a coffin for one of his children. Soon, Jenny also died and Marx was left with only two children. Later, he looked back at his life with regret and said, "You know that I have sacrificed my whole fortune to the revolutionary struggle. I do not regret it. Quite the contrary if I had to start my life over again, I would do the same. But I would not marry."
 
4. 
He lived a painful life
Despite his good humour, Karl Marx did not keep very well. He had liver problems, rheumatism, sciatica and had frequent headaches, toothaches, insomnia, hemorrhoids. He also suffered from a disease that made him break out frequently in carbuncles, or boils. Sometimes these boils would cover his whole body or would be limited to his leg or genitals causing him great pain until they went away. During these episodes, he couldn't write anything and simply had to wait for them to heal before he could carry on with his projects. Perhaps it was this that led him to say, "The only antidote to mental suffering is physical pain."


5. Marx had suffered a nervous breakdown at the age of 19. Perhaps he never recovered his mental composure after that.
Perhaps that is what led author Saul K. Padover to say this about Marx in his book Karl Marx: An Intimate Biography:
"In private life he is a highly disorderly, cynical person, a poor host; he leads a gypsy existence. Washing, grooming, and changing underwear are rarities with him; he gets drunk readily. Often he loafs all day long, but if he has work to do, he works day and night tirelessly. He does not have a fixed time for sleeping and staying up; very often he stays up all night, and at noon he lies down on the sofa fully dressed and sleeps until evening, unconcerned about the comings and goings around him..."

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If u see closely; majority of our worries / anxieties are 'Money Related' (for people who are 25+)
We r trying to exert too hard to save some from here & there, gain an advantage there or here. And if u see more closely majority of the times the amounts of money / stakes that we worry for are small (At least much much smaller than the larger picture).
Here is my take on this:-
1) If you are focusing on small amounts - the law of attraction will keep you small : Small in mindset, smaller in gains & smallest in luck.
Pay out those small amounts & BUY out momentum, luck & peace.
2) Worrying about small issues & amounts-- punctures & dissipates your CONCENTRATION on any thing which is more valid to you in your life.
Just imagine if u were to use double your concentration to solve business, family and whatever u r onto ???
3) As I look back at my life & also of so many others around - RICH become RICHER by first being rich in their heart than by becoming a miser.
4) The premise that 'Boond Boond se Sagar Banta hai' is falsely true. As I will prefer to concentrate to find smart ways to buy a bucket to gather water THAN carry single water drops to my home.
5) Whatever your parents and teachers told you / conditioned your mind with may not be fully valid in today's times (as the world has significantly changed in the last few years).
Find / Identify your own smart model & style of living out your life.
Don't buy 'Sincerity Stress'. Buy elegant algorithms to live your 'One Life' ...
Grace is so, so better THAN Grease.

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