सार जंगल में त्वि ज क्वे न्हां रे क्वे न्हां , फुलन छै के बुरूंश ! जंगल जस जलि जां। सल्ल छ , दयार छ , पई अयांर छ , सबनाक फाडन में पुडनक भार छ , पै त्वि में दिलैकि आग , त्वि में छ ज्वानिक फाग , रगन में नयी ल्वै छ प्यारक खुमार छ। सारि दुनि में मेरी सू ज , लै क्वे न्हां , मेरि सू कैं रे त्योर फूल जै अत्ती माँ। काफल कुसुम्यारु छ , आरु छ , अखोड़ छ , हिसालु , किलमोड़ त पिहल सुनुक तोड़ छ , पै त्वि में जीवन छ , मस्ती छ , पागलपन छ , फूलि बुंरुश ! त्योर जंगल में को जोड़ छ ? सार जंगल में त्वि ज क्वे न्हां रे क्वे न्हां , मेरि सू कैं रे त्योर फुलनक म ' सुंहा॥ अर्थातः अरे बुरांश सारे जंगल में तेरा जैसा कोई नहीं है तेरे खिलने पर सारा जंगल डाह से जल जाता है , चीड़ , देवदार , पदम व अंयार की शाखाओं में कोपलें फूटीं हैं पर तुझमें जवानी के फाग फूट रहे हैं , रगों में तेरे खून दौड़ रहा है और प्यार की खुमारी छायी हुई है।
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